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हाँ,मैं डरता हू

  • Rishabh Sinha
  • Apr 15, 2018
  • 1 min read

मैं डरता हू,

जब मेरी बहन बाहर खेलने जाती है ।

एक भय हमेशा ही रहता है,

कही कोई उसकी इज़्ज़त के साथ ना खेल जाए ।

मैं डरता हू,

जब मेरी बहन बाहर घूमने जाती है ।

एक चिंता हमेशा सताती है ,

वह बस सुरक्षित घर वापस आ जाए ।

मैं डरता हू,

जब मेरी बहन बाहर पढ़ने जाती है ।

एक बात परेशान करती है ,

कहीं उसकी पढाई का कोई ग़लत फायदा ना उठा ले ।

मैं डरता हू,

जब मेरी बहन आज बिदा हो रही है ।

एक फ़िक़्र्र हमेशा रहती है,

कहीं वह दहेज का शिकार ना बन जाए ।

मैं डरता हू,

जब मेरी बहन आज माँ बनी है ।

वही सारे सोच वापस आते है

जो मैं अपनी बहन के लिए रखता था ।

सारी उम्र निकल गयी इसी चिंता मे,

कब तक मेरी बहन डर के निकलेगी घर से ।

कब आएगा वह काल,

जब वह बनेगी अपनी ही ढाल ।

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